“ग्रे डिवोर्स” Grey Divorce – एक नया सामाजिक और कानूनी चलन

हाल के वर्षों में एक नया और महत्वपूर्ण सामाजिक परिघटना उभरी है, जिसे “ग्रे डिवोर्स” (Grey Divorce) कहा जाता है। यह शब्द विशेष रूप से उन विवाहों को संदर्भित करता है जो जीवन के सुनहरे वर्षों में यानी 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों द्वारा टूटते हैं। “ग्रे डिवोर्स” का नाम इस तथ्य से जुड़ा है कि इसके अंतर्गत शामिल जोड़ों में अधिकतर लोग उम्रदराज होते हैं और उनका जीवन का अनुभव पहले से ही काफी लंबा होता है, इसलिए इसे ‘ग्रे’ (सफेद बालों) के साथ जोड़ा जाता है। यह सामाजिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य में एक नया और बढ़ते हुए ट्रेंड के रूप में देखा जा रहा है। इस लेख में हम “ग्रे डिवोर्स” के बारे में विस्तार से समझेंगे, इसके कारणों, प्रभावों और परिणामों पर चर्चा करेंगे।

“ग्रे डिवोर्स” क्या है?

ग्रे डिवोर्स का मतलब है, जब एक जोड़ा, जो उम्र में अधिक होता है और लंबा समय एक-दूसरे के साथ बिता चुका होता है, तलाक लेने का निर्णय लेता है। यह उन जोड़ों में आमतौर पर होता है, जो 50 वर्ष की आयु के बाद या उससे अधिक उम्र के होते हैं। ऐसा तलाक अक्सर देर से होता है, जब बच्चे बड़े हो चुके होते हैं और जोड़े का रिश्ते में सामंजस्य या तो पूरी तरह से खत्म हो चुका होता है या उनमें एक दूसरे के प्रति लगाव समाप्त हो चुका होता है।

“ग्रे डिवोर्स” का बढ़ता चलन

पिछले कुछ दशकों में “ग्रे डिवोर्स” की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में इस तरह के तलाकों की दर बढ़ रही है। 50 से ऊपर की उम्र के जोड़ों में तलाक की संख्या दोगुनी हो गई है और यह चलन भारत सहित अन्य देशों में भी धीरे-धीरे फैल रहा है। इसका मुख्य कारण समाज के बदलते दृष्टिकोण, जीवन के प्रति बदलती प्राथमिकताएं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की ओर बढ़ता झुकाव है।

“ग्रे डिवोर्स” के कारण

  1. लंबे समय तक रिश्ते में असंतोष: कई बार एक जोड़ा विवाह के प्रारंभिक वर्षों में खुश रहता है, लेकिन समय के साथ रिश्ते में असंतोष उत्पन्न हो जाता है। अगर यह असंतोष सालों तक चलता रहे तो अंततः जोड़े का रिश्ता खत्म हो सकता है। विशेष रूप से जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो पति-पत्नी को अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और खुशियों की तलाश होती है।
  2. बच्चों के बड़े होने के बाद: जब बच्चे अपने माता-पिता से स्वतंत्र हो जाते हैं, तो शादीशुदा जोड़े के सामने यह सवाल उठता है कि वे एक-दूसरे के साथ जीवन जीने को लेकर कितने संतुष्ट हैं। कई जोड़े इस समय के बाद अपने रिश्ते पर पुनः विचार करते हैं, और यदि उनके बीच प्यार और सामंजस्य नहीं होता, तो वे तलाक का फैसला लेते हैं।
  3. स्वतंत्रता की चाह: खासकर आज के समय में लोग अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आत्मसंतुष्टि की ओर अधिक झुके हुए हैं। जब एक जोड़ा अपने जीवन के अंत के करीब पहुंचता है, तो वे यह महसूस करते हैं कि वे अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीना चाहते हैं, और इसलिए वे तलाक लेने का निर्णय ले सकते हैं।
  4. स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति: उम्र के साथ शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं, जो कि रिश्तों पर भी असर डाल सकते हैं। कई बार एक व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ता है, या वह अपने जीवन साथी के साथ सामंजस्य बनाए रखने में असमर्थ होता है, जिससे तलाक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  5. आर्थिक स्वतंत्रता और करियर की प्राथमिकताएं: खासकर महिलाओं में, अब पहले से ज्यादा आर्थिक स्वतंत्रता और करियर के अवसर उपलब्ध हैं। कई महिलाएं अपने जीवन के दूसरे हिस्से में स्वतंत्र रूप से अपनी पहचान और करियर बनाने की चाह रखती हैं, जिससे वे अपने पति के साथ रिश्ते को खत्म करने का निर्णय ले सकती हैं।

“ग्रे डिवोर्स” के प्रभाव

  1. आर्थिक प्रभाव: तलाक के बाद, खासकर यदि दोनों पक्षों के पास पर्याप्त संपत्ति और आय होती है, तो यह आर्थिक दृष्टिकोण से जटिल हो सकता है। पति-पत्नी को अपने अलग-अलग घरों और जीवनशैली के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, पेंशन, संपत्ति विभाजन और भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी आ सकती है।
  2. भावनात्मक और मानसिक प्रभाव: उम्र के साथ रिश्ते में तलाक का असर गहरा हो सकता है, क्योंकि जोड़े के बीच वर्षों का अनुभव और साझा इतिहास होता है। तलाक के बाद दोनों पार्टनर को भावनात्मक रूप से काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अकेलेपन का अनुभव, तनाव और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं आम होती हैं।
  3. बच्चों पर प्रभाव: भले ही बच्चे बड़े हो चुके हों, फिर भी वे अपने माता-पिता के तलाक को गहरे रूप से महसूस करते हैं। बच्चों पर भावनात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और वे अपने माता-पिता के बीच के रिश्ते को लेकर भ्रमित हो सकते हैं।
  4. सामाजिक धरोहर और परिवार की संरचना: पारंपरिक परिवार संरचना में परिवर्तन होता है, और तलाक के बाद परिवार में नए समीकरण बनते हैं। यह सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक चुनौती है क्योंकि समाज में पारंपरिक परिवारों की अपेक्षाएं बनी रहती हैं।

“ग्रे डिवोर्स” को लेकर क्या किया जा सकता है?

  • संचार और समझ: एक अच्छे रिश्ते के लिए संवाद सबसे महत्वपूर्ण है। यदि पति-पत्नी अपनी भावनाओं और समस्याओं के बारे में खुले तौर पर बात करें, तो वे तलाक से बच सकते हैं।
  • पारिवारिक परामर्श: यदि किसी रिश्ते में समस्याएं आ रही हैं, तो परिवारिक परामर्श (काउंसलिंग) की सहायता लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इससे दोनों पार्टनर अपने दृष्टिकोण को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।
  • स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर ध्यान: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी जरूरी है, क्योंकि उम्र के साथ ये पहलू रिश्तों पर असर डाल सकते हैं।

“ग्रे डिवोर्स” एक बढ़ता हुआ सामाजिक चलन है, जो विवाह और परिवार की संरचना पर नए सवाल खड़े करता है। यह तलाक केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संतोष की चाह का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह बदलती हुई सामाजिक और सांस्कृतिक धारा का भी हिस्सा है। हालांकि यह परिघटना अपनी चुनौतियाँ लेकर आती है, लेकिन सही संवाद, समझ और काउंसलिंग के माध्यम से इसे सुलझाया जा सकता है।

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